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भारत में कीमत वृद्धि को रोकने हेतु सरकारी उपाय एवं उपचार से सुझाव

 भारत में कीमत वृद्धि को रोकने हेतु सरकारी उपाय एवं उपचार से सुझाव 


1) मौद्रिक नीति - रिजर्व बैंक के द्वारा समय - समय पर मौद्रिक नीति के अनुसार मुद्रा की जो आपूर्ति होती है उसको कम करने का प्रयास किये है। जिसके कारण जमा राशियों पर ब्‍याज की दरों को बढ़ा देने से जो लोगों के पास मुद्रा होता है उसको अधिक से अधिक मुद्रा को जमा करने का प्रयास करते है। और उधर उधार या कि ऋण की ब्‍याज को अधिक बढा देते है जिससे की लोग कम उधार या ऋण प्राप्‍त कर सके । ताकि मुद्रा लोगों से सरकार के पास पहुच जाये। रिजर्व बैंक द्वारा सरकार को दिये जाने वाले ऋण को कम करने के लिए अस्‍थायी ट्रेजरी बिल जारी किये गये है। 


2) राजकोषीय नीति - राजकोषीय निति के अन्‍तर्गत सरकार ने राजकोषीय घाटे में कमी की है । कर प्रणाली को इस प्रकार से बनाया गया है जिसके कारण विलासिता की वस्‍तुओं का उपभोग कम हो तथा बचतो में वृद्धि हो । परन्‍तु सरकार के बढानें गैर- योजनागत व्‍यय के कारण सरकार राजकोषीय नीति द्वारा सार्वजनिक खर्च को कम करने में असफल रही है। 


3) सार्वजन‍िक वितरण प्रणाली - सरकार के द्वारा आवश्‍यक वस्‍तुओं जैसे - गेहू,चावल, चीनी, खाद्य तेल, मिट्टी का तेल , आदि की  मूल्‍य या कीमत कम मूल्‍य पर उपलब्‍ध कराने के लिए देश में उचित कीमत की दूकाने का जाल उपलब्‍ध है इन दुकानों पर राशन कार्ड धारियों को यह वस्‍तुए उपलब्‍ध होती हैं। 31 मार्च 2002 को देश में इस प्रकार की 4.74 लाख दुकानें थी । 


4) आवश्‍यक वस्‍तुओं का  आयात - देश में आवश्‍यक वस्‍तुओं की  आपूर्ति हमेशा नियमित रूप  होती रही है तथा कीमतें ज्‍यादा न बढ़े इसके लिए सरकार ने आयात नीति में परिवर्तन किये है। जैसे - चीनी, कपास, खाद्य तेल, खाद्यान्‍न आदि वस्‍तुओं के आयातों को बढ़ाने के लिए सरकार समय - समय पर नये - नये कदम उठाये है । 


5) न्‍यूनतम समर्थित  एवं वसूली मूल्‍यों की घोषणा - कृषि पदार्थों के कीमतों में अधिक मूल्‍य न हो तथा उत्‍पादन पर्याप्‍त मात्रा में हो सके इसके लिए सरकार अनेक कृषि पदार्थों के की न्‍यूनतम समर्थित व वसूली मूल्‍यों की घोषणा करती है। 


6) उत्‍पादन व उत्‍पादिता को प्रोत्‍साहन करना - सरकार ने कृषि व औद्योगिक उत्‍पादन व उत्‍पादिता को बढ़ाने के लिए अनेक उपाय किये है । कृषि उत्‍पादन में बढाने के लिए हरित क्रान्ति  प्रारम्‍भ की गयी । और किसानों को बीज  व उर्वरक  कम मूल्‍य पर उपलब्‍ध कराये गये है। कृषि की आय को आयकर से मुक्‍त रखा गया है। इसी प्रकार से औद्योगिक क्षेत्र में कोयला, बिजली आदि सस्‍ती कीमतों पर उपलब्‍ध कराये। जिससे आधारित संरचनाओं जैसे - परिवहन, संचार आदि का व‍िकास हो । 


कीमत वृद्धि के उचार हेतु सुझाव 

1) मौद्रिक नीति - सरकार ने समय - समय पर मौद्रिक नीति के द्वारा कीमतों को नियंत्रित करने का प्रयास किये है लेकिन कुछ सफलता मिली है। वास्‍तवमें इसके लिए देश में बैंकिग तथा व‍ित्‍तीय संस्‍थाओं का व‍िकास किया जाना चाहिए । व्‍यापारिक बैंकों को रिजर्व बैंक की नीति मानने के लिए बाध्‍य किया जाना चाहिए । जिससे मौद्रिक व राजकोषीय नीति में उचित समन्‍वय चाहिए । 


2) राजकोषीय नीति - सरकार को कडे़ नियम से व‍ित्‍तीय अनुशासन की नीति व उस पर अमल की नीति को बनाना चाहिए । गैर -योजनागत खर्च में कमी करना आवश्‍यक है । बजट का घाटा एक निश्चित सीमा से आगे नहीं बढाना चाहिए । सरकारी व‍िभागों में अनुत्‍पादकीय व प्रशासकीय व्‍ययों में कटौती करनी बहुत आवश्‍यक है। 


3) व्‍यापारिक नीति - सरकार ने आयातों के द्वारा कीमतों की वृद्धि रोकने के प्रयास किये हैं परन्‍तु आयात प्रतिस्‍थापन पर अधिक नहीं दिया जाता है। अत: इस दिशा में व‍िशेष प्रयास किये जाये । आवश्‍यक वस्‍तुओं के निर्यात को कम किया जाना चाहिए । जो वस्‍तुऍं आयात की जाती हैं उनके निर्णय उचित समय पर लिये जाये । 


4) कीमत नीति - सरकार ने अपने घाटे कोे पूरा करने के लिए पेट्रोल, कोयला, व‍िद्वुत जैसी बुनियादी चीजों की मूल्‍यों बहुत बढ़ा दी है। इससे अन्‍य वस्‍तुओं की कीमतें भी तेजी से बढ़ती है। अत: सार्वजनिक क्षेत्र के अन्‍य उद्यमों की कार्यकुशलता को बढ़ाया जाय व इन वस्‍तुओं की कीमतें तीव्रगति से न बढ़ाया जायें। न्‍यूनतम समर्थित मूल्‍य व वसूली मूल्‍यों की घोषणा करते समय उपभोक्‍ताओं के हितों को भी ध्‍यान में रखना चाहिए । 


5) व‍ितरण नीति - सरकार ने जो उचित कीमत की दुकानें खोली है वह ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक से अधिक खोली जायें। इन दुकानों के द्वारा व‍ितरित आवश्‍यक वस्‍तुओं की संख्‍या में वृद्धि की जाय। इसके अतिरक्ति जमाखोरी व काला बाजारी को रोकने के लिए कउे कदम उठाये जाने चाहिए ।